Nirmala Sitharaman

National Monetization Pipeline : राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन क्या है और देश को इससे क्या लाभ होगा, जानें

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline) की शुरुआत की, जिसके माध्यम से सरकार का लक्ष्य अगले चार वर्षों में राज्य के स्वामित्व वाली बुनियादी ढांचा संपत्ति को पट्टे पर देकर 81 अरब डॉलर जुटाना है। वहीं यह सरकारी वित्त पर दबाव डाले बिना नए पूंजीगत व्यय को निधि देने में मदद करेगा।

वहीं इसी दौरान सीतारमण ने कहा कि प्रस्ताव में सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, खेल स्टेडियमों, बिजली पारेषण लाइनों और गैस पाइपलाइनों सहित संपत्ति को निजी ऑपरेटरों को सौंपना शामिल है।

एनएमपी योजना (NMP scheme) के बारे में आपको जो कुछ जानने की जरूरत है वह यहां दिए गए है:

  • सरकार के दृष्टिकोण के अनुसार, एनएमपी को विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में संभावित मुद्रीकरण-तैयार परियोजनाओं की पहचान के लिए एक मध्यम अवधि के रोडमैप के रूप में काम करने की परिकल्पना की गई है।
  • एनएमपी को नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और इंफ्रास्ट्रक्चर लाइन मंत्रालयों द्वारा किए गए बहु-हितधारक परामर्शों के माध्यम से समेकित अंतर्दृष्टि, फीडबैक और अनुभवों के बाद तैयार किया गया है।
  • वहीं अभी के लिए, सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र के मंत्रालयों और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में काम करने वाले सीपीएसई की संपत्ति को ही शामिल किया है। विनिवेश के माध्यम से मुद्रीकरण और गैर-प्रमुख संपत्तियों के मुद्रीकरण को एनएमपी में शामिल नहीं किया गया है।
  • वहीं एनएमपी की अवधि तय की गई है ताकि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) के तहत शेष अवधि के साथ सह-टर्मिनस हो।
  • इसके साथ ही सीतारमण ने कहा कि एनएमपी रोजगार के अवसर पैदा करेगा, जिससे उच्च आर्थिक विकास को सक्षम बनाया जा सकेगा और समग्र जन कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को समेकित रूप से एकीकृत किया जा सकेगा।
  • एनएमपी रिपोर्ट को दो खंडों में तैयार किया गया है, जिसे आज वाइस चेयरमैन (नीति आयोग), सीईओ (नीति आयोग) और इंफ्रास्ट्रक्चर लाइन मंत्रालयों के सचिवों की उपस्थिति में जारी किया गया। जबकि पहले खंड को एक मार्गदर्शन पुस्तिका के रूप में संरचित किया गया है।
  • वहीं ज्ञात हो कि यह योजना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतिक विनिवेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत सरकार केवल कुछ चिन्हित क्षेत्रों में ही उपस्थिति बनाए रखेगी और शेष निजी क्षेत्र का दोहन करेगी।

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