Chhattisgarh High Court का फैसला, पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध रेप नही
छत्तीसगढ़ में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश (judge of the High Court in Chhattisgarh) ने कई लोगों द्वारा अपमानजनक और “अत्याचारी” के रूप में वर्णित एक फैसले में कहा है कि पति द्वारा सेक्स या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं है, भले ही इसमें बल शामिल हो।
वहीं बता दे कि न्यायमूर्ति एन के चंद्रवंशी (Justice NK Chandravanshi) की एकल पीठ ने कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ बलपूर्वक अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध या यौन क्रिया को बलात्कार नहीं माना है।
वहीं इसके साथ ही आपको बता दे कि जिस मामले में जज ने यह आदेश सुनाया, उसमें एक महिला शामिल है जिसकी शादी साल 2017 में हुई थी। उसने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसे दहेज के लिए परेशान किया गया, उसके पति ने पीटा और फिर बलात्कार किया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि, “इस मामले में, शिकायतकर्ता कानूनी रूप से आवेदक की विवाहित पत्नी है, इसलिए उसके साथ यौन संबंध या पति द्वारा कोई भी यौन कृत्य बलात्कार का अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो। इसलिए, धारा के तहत आरोप 376 (बलात्कार) आवेदक पति के खिलाफ गलत और अवैध है”। वहीं अदालत ने बलात्कार के आरोप पर उससे असहमति जताई, न्यायाधीश ने कहा कि पति पर धारा 377 के तहत आरोप लगाया जा सकता है, जो “प्रकृति के आदेश के खिलाफ” सेक्स पर प्रतिबंध लगाता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत में वैवाहिक बलात्कार कोई अपराध नहीं है। विवाह में बलपूर्वक सेक्स करना तभी अपराध है जब पत्नी की आयु 18 वर्ष से कम हो। इसके साथ ही ज्ञात हो कि, पिछले महीने ही केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने कहा था कि किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध को वैवाहिक बलात्कार कहा जा सकता है।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Congress MP Gaurav Gogoi) ने ट्वीट कर कहा कि, “भारतीय संसद द्वारा वैवाहिक बलात्कार के कानूनी कवच को खत्म करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में संशोधन करने का समय आ गया है। विवाहित महिलाओं को उनके पति द्वारा उनकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।”
इसके साथ ही शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena leader Priyanka Chaturvedi) ने आदेश को अत्याचारी बताते हुए कहा कि, “भारत शर्मनाक रूप से उन कुछ देशों में से है जो वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं मानते हैं।”
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