Holika Dahan 2022 : आज है होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
Holika Dahan 2022 : हिंदू धर्म (Hinduism) में होली (Holi) का त्योहार काफी खास माना गया है. वहीं इस साल होलिका दहन (Holika Dahan) का त्योहार 17 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. बता दे कि होली पर असत्य पर सत्य की जीत हुई थी. इसलिए त्योहार को लोग गले मिलकर और रंग लगाकर खेलते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है. होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा-अर्चना की जाती है. होली से पहले होलिका पूजा को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. यह भी पढ़ें : Happy Holi 2022 Wishes In Hindi : हैप्पी होली! शेयर करें ये कलरफुल Images, Quotes और GIF Greetings
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan auspicious time) :
- होलिका दहन मुहूर्त – 09:06 शाम से 10:16 शाम (अवधि – 01 घण्टा 10 मिनट्स)
- रंगवाली होली शुक्रवार, मार्च 18, 2022 को
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 17, 2022 को 01:29 शाम बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 18, 2022 को 12:47 शाम बजे
- होलिका दहन हिन्दु मध्य रात्रि के बाद ( वैकल्पिक मुहूर्त- हिन्दु मध्य रात्रि के बाद – 01:12 सुबह से 06:28 सुबह, मार्च 18 अवधि – 05 घण्टे 16 मिनट्स )
होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan Puja Material) :
- एक लोटा जल
- गाय के गोबर से बनी माला
- अक्षत
- माला
- गन्ध
- पुष्प
- रोली
- कच्चा सूत
- गुड़
- साबुत हल्दी
- मूंग
- बताशे
- गुलाल
- नारियल
होलिका पूजा विधि (Holika Puja Vidhi) :
- सबसे पहले सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रख लें, इसके साथ ही में लोटे में जल रखें.
- पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे. इसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप पानी छिड़कें और ‘ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप करें.
- इसके बाद जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें.
- साथ ही फूल और चावल लेकर गणेश जी का स्मरण करें.
- गणेश पूजा के बाद देवी अंबिका का स्मरण करें और ‘ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि’ मंत्र का जाप करें.
- वहीं अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें. इसके बाद अब भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें. फूल पर रोली और चावल लगाकर भक्त प्रह्लाद को चढ़ाएं.
- अब होलिका के आगे खड़े होकर प्रार्थना करें. होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला जिसे बड़कुला या गुलारी भी कहते हैं होलकिा में अर्पित करें.
- अब होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे. साथ ही होलिका के सामने ही लोटे के जल को पूरा अर्पित कर दें.
होलिका दहन की धार्मिक मान्यता (Religious belief of Holika Dahan) :
हिंदू धर्म के मुताबिक, होलिका दहनपूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए. लेकिन अगर इसी बीच भद्राकाल हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. ज्ञात हो कि होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना काफी जरूरी है. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है.