प्राण प्रतिष्ठा के बाद अरुण ने कहा कि, कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं सपनों की दुनिया में हूं. साथ ही उन्होंने कहा कि जब मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजा अर्चना हुई तब उन्हें भी विश्वास नहीं हुआ कि उसे उन्होंने बनाया था. पूजा के दौरान रामलला की प्रतिमा पहले से कहीं ज्यादा दिव्य और लौकिक हो गई.