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Mahalaya 2021: कब है महालया ? जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत और रोचक कथा!

Mahalaya 2021

Mahalaya 2021 : पितरों की विदाई और महालया (Mahalaya) के आगमन से ही दुर्गापूजा (Durga Puja) की शुरुआत होती है. वहीं पश्चिम बंगाल (West Bengal) में महालया का काफी खास महत्व है. माना जाता है कि इस दिन माँ दुर्गा (Maa Durga) कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर अवतरित होती हैं.

महालया के साथ ही दुर्गापूजा की शुरुआत हो जाती है. देवी पुराण के अनुसार इसी दिन ही माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर 10 दिन के लिए प्रवास करती हैं. वहीं बता दे कि इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि मूर्तिकार इसी दिन देवी दुर्गा की आंखें बनाकर मूर्ति को पूर्णता प्रदान करते हैं.

कब है महाल्या? (When is Mahalya)

पितृपक्ष का आखिरी दिन अमावस्या होता है. वहीं इस दिन महाल्या का पर्व मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर कि माने तो इस वर्ष महालया 6 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जायेगा. वहीं इसके अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को नवरात्रि की पूजा-अर्चना शुरु हो जाएगी. वहीं आपको बता दे कि इस बार नवरात्रि आठ दिन की होगी, क्योंकि 9 अक्टूबर को तृतीया एवं चतुर्थी एक साथ ही पड़ रही है.

कैसे शुरु हुआ महालया? (How did Mahalaya start)

वहीं बता दे कि पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नामक दैत्य को वरदान मिला था कि मनुष्य हो या देवता कोई भी उसका संहार नहीं कर सकेगा. जिसके बाद महिषासुर को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया. इसके साथ ही वो ऋषि-मुनियों को सताने लगा और स्वर्ग पर आक्रमण कर लिया. इसके बाद ही सभी देवतागण त्रिदेव (भगवान ब्रह्मा, विष्णु और एवं शिवजी) के पास गए. वहीं देवताओं की स्थिति देख त्रिदेव क्रोधित हो गए.

वहीं इस दौरान उनके शरीर से दिव्य ज्वाला एक नारी के रूप में प्रकट हुई. जिसे महाशक्ति देवी दुर्गा का नाम दिया गया. वहीं सभी देवताओं ने महाशक्ति दुर्गा की स्तुति गाते हुए अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान कर दिया. वहीं कहा जाता है कि महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच नौ दिनों तक महासंग्राम चलता रहा. जिसके बाद दसवें दिन देवी दुर्गा महिषासुर का मर्दन कर स्वर्गलोक को मुक्त कराया. इसके साथ ही आपको बता दे कि इसीलिए देवी दुर्गा का एक नाम महिषासुर मर्दनी भी पड़ा.

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