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Navratri 2022 : 26 सितंबर से शुरू हो रही है नवरात्रि! कलश स्थापना के लिए सिर्फ 48 मिनट का शुभ मुहूर्त

Navratri 2022

Navratri 2022 : हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के मुताबिक प्रतिवर्ष कुल 4 नवरात्रियां पड़ती हैं, दो सार्वजनिक और दो गुप्त नवरात्रि. वहीं आज हम बात करेंगे शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की. बता दे कि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जायेगी. अभी से ही हर घरों में तैयारियां होने लगी होगी. वही बाजार भी नवरात्रि की पूजा सामग्रियों से भरी पड़ी हैं.

नवरात्रि पूजा की प्रथम प्रक्रिया कलश-स्थापना से होती है, जिसे मां शक्ति की प्रतिमूर्ति माना जाता है. कलश स्थापना 26 सितंबर 2022 दिन सोमवार महज 48 मिनट के अभिजीत मुहूर्त में करना होगा. इसलिए इस दिन की सारी तैयारियां पहले से ही जाती है. तो आइए जानते है क्या-क्या करना है कलश स्थापना के लिए.

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्रियां (Kalash Sthapana Puja Samagri List) :

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक कलश में भगवान गणेश एवं विष्णु समेत 33 कोटि देवी-देवताओं एवं ग्रह-नक्षत्रों का वास होता है. लेकिन कहा यह जाता है कि यह तभी होता है, जब कलश पुरे विधि-विधान से संपूर्ण सामग्रियों के साथ स्थापित किया जाए. इसलिए पूजा से पूर्व कलश स्थापना की सारी सामग्रियां एकत्र कर लेनी चाहिए. आइये जानें क्या हैं आवश्यक सामग्रियां..

मिट्टी का कलश और ढक्कन, मिट्टी का एक छोटा दीया, दुर्गा जी की प्रतिमा, मिट्टी, एक नारियल, गंगाजल, सुपारी, जौ, हल्दी, पुष्प, रंगोली, चावल या गेहूं (ढक्कन में रखने के लिए), छोटी लाल चुनरी, पान का पत्ता, लाल रंग का कपड़ा, सिक्का, आम के पत्ते, लकड़ी की एक छोटी चौकी.

शुभ मुहूर्त : प्रतिपदा तिथि

स्थापना का शुभ मुहूर्त :

जानें कहां और कैसे करें कलश स्थापना :

कलश को उत्तर अथवा उत्तर पूर्व दिशा में रखें. जहां कलश बैठाना हो उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें. इसके बाद इस स्थान पर दो इंच तक मिट्टी में रेत और सप्तमृतिका मिलाकर एक सार बिछा लें. साथ ही कलश पर स्वास्तिक चिह्न बनाएं और सिंदूर का टीक लगाएं. कलश के गले में मौली लपेटें. अब मिट्टी में जौ छिड़क दें. अब कलश में गंगाजल, सुपारी, अक्षत, कुछ सिक्के, हल्दी की एक गांठ, दूर्वा डालें. साथ ही कलश पर आम के सात पत्ते बिछाकर उस पर जटा वाला नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रखें. वहीं आप जिस स्थान पर भी कलश बैठा रहे हैं उस स्थान को दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए बोलें ओम भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं. पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः।

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